मंडी डबवाली उपमुख्यमंत्री के डबवाली को पुलिस ज़िला बनाए जाने वाले बयान को विधानसभा में गृह मंत्री ने किया ख़ारिज By Gurvinder Pannu Posted on August 27, 2020 9 second read 0 0 386 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print विधायक सिहाग ने बताया, उपमुख्यमंत्री के डबवाली को पुलिस ज़िला बनाए जाने वाले बयान को विधानसभा में गृह मंत्री ने किया ख़ारिज गठबंधन सरकार के आला नेताओं की कथनी और करनी में अंतर- अमित सिहाग हलका डबवाली के विधायक अमित सिहाग ने कहा कि उनके द्वारा विधानसभा में डबवाली को पुलिस ज़िला बनाए जाने के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर गृह मंत्री ने कोई प्रस्ताव न होने की बात कही है, जिससे गठबंधन सरकार की कथनी और करनी में साफ अंतर दिखाई देता है। विधायक सिहाग ने कहा कि एक तरफ डबवाली में अपने प्रवास के दौरान उपमुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा था कि डबवाली को पुलिस ज़िला बनाया जा रहा है, लेकिन विधानसभा में गृह मंत्री अनिल विज ने इस संदर्भ में कोई प्रस्ताव न होने का कह कर इस बयान को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ जहां सरकार हमारी जायज मांगों को गंभीरता पूर्वक नहीं ले रही, वहीं दूसरी तरफ नेता वास्तविकता से कहीं दूर झूठे वायदे परोसने में लगे हुए हैं। विधायक ने कहा कि मेरे द्वारा किए गए प्रयासों पर मोहर लगाने की बजाय आवश्कता है कि समाज के सभी वर्ग और राजनीतिक दल मिल कर इस मांग को पूरा करवाने के लिए उनके साथ प्रयास करें। अमित सिहाग ने कहा कि उनके द्वारा विधानसभा में सरकार से गांव चौटाला के बस स्टैंड की मुरम्मत करवाने के विषय में सवाल पूछा गया था, जिस जवाब देते हुए ट्रांसपोर्ट मंत्री ने बस स्टैंड की कोई उपयोगिता ना होने की बात कह कर ख़ारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आयु सीमा में छूट और ओटू झील की खुदाई करवाने के विषय में की गई मांग पर भी सरकार ने असमर्थता जताई है।विधायक ने कहा कि सरकार का ये रवैया निराशाजनक है कि सरकार विधायकों द्वारा जनहित में उठाई गई अपने अपने हलकों की समस्याओं से सम्बन्धित मांगों के प्रति गंभीर नहीं है। सिहाग ने कहा कि जब सभी विधायकों के करोना टेस्ट होने के बाद, लाखों रुपए खर्च कर विधानसभा सत्र बुलाया ही गया था तो कुछ घंटो की बजाय विधानसभा सत्र कुछ दिन चलाया जाना चाहिए था, ताकि विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सकती। लेकिन सरकार ने करोना की आड़ में लोकतंत्र को चुप करवाने के साथ ही जनहित के मुद्दों और करोना काल में हुए शराब, धान व रजिस्ट्री घोटालों पर जवाब देने से भागने का काम किया है। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
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