मंडी डबवाली सिरसा स्कूल हरयाणा महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री जयंति के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ कार्यकम ‘‘स्वच्छता परमो धरमा’’ By Gurvinder Pannu Posted on October 2, 2019 10 second read 0 0 894 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print मंडी डबवाली – 2 अक्तूबर का दिन न सिर्फ भारत बल्कि विश्व इतिहास में एक खास महत्व रखता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। उनके कार्यों और विचारों ने देश को आजादी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह 2 अक्तूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है। ये शब्द एचपीएस सीनियर सैकंडरी स्कूल के निदेशक एवं प्रिंसीपल आचार्य रमेश सचदेवा ने महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री जयंति के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यकम ‘‘स्वच्छता परमो धरमा’’ के अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि बापू के सत्य और अहिंसा के विचारों ने पूरी मानवता को विश्व शांति का पाठ पढ़ाया है। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जून 2007 को महात्मा गांधी के जन्म दिन 2 अक्तूबर को विश्व अंहिसा दिवस के रुप में घोषित किया था। इस बार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती बुधवार को भारत सहित दुनिया के 120 देशों में मनाई जा रही है। गांधी जी से जुड़े रोचक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल में गांधी जी अंग्रेजी में अच्छे विद्यार्थी थे, जबकि गणित में औसत व भूगोल में कमजोर छात्र थे। उनकी हैंडराइटिंग बहुत सुंदर थी। महान आविष्कारक अल्बर्ट आइंस्टीन बापू से खासे प्रभावित थे। आइंस्टीन ने कहा था कि लोगों को यकीन नहीं होगा कि कभी ऐसा इंसान भी इस धरती पर आया था। वह कभी अमेरिका नहीं गए और न ही कभी प्लेन में बैठे। उन्हें अपनी फोटो खिचंवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। जब वकालत करने लगे तो वह अपना पहला केस हार गए थे। वह अपने नकली दांत अपनी धोती में बांध कर रखा करते थे। केवल खाना खाते वक्त ही इनको लगाया करते थे। अपनी मौत से एक दिन पहले उन्होंने कांग्रेस को खत्म करने पर विचार किया था। उनकी शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े हुए थे। उन्हें 5 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी हत्या हो गई। श्रवण कुमार की कहानी और हरिश्चन्द्र के नाटक को देखकर महात्मा गांधी काफी प्रभावित हुए थे। राम के नाम से उन्हें इतना प्रेम था की अपने मरने के आखिरी क्षण में भी उनका आखिरी शब्द राम ही था।भारत में कुल 53 बड़ी सड़कें महात्मा गांधी के नाम पर हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं। 1934 में भागलपुर में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने अपने ऑटोग्राफ के लिए पांच-पांच रुपये की राशि ली थी। इस अवसर पर नटखट के बाल कलाकारों ने सिंगल यूज पलास्टिक का प्रयोग न करने के लिए संगीत नाटिका के माध्यम से टिक-टिक प्लास्टिक दूर भगाएं तथा छोड़ो प्लास्टिक थैली, हम सबने है ठानी, अपना लो कोई कपड़े की थैली नई पुरानी के माध्यम से मार्मिेक संदेश दिया। नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के अनेकों बच्चे आज गांधी की वेशभूषा में सज कर आए व कुछ भगत सिंह व सैनिक भी बनकर आए। विद्यालय के हैड ब्वाय जसकरण सिंह तथा गांधी बने जयदीप ने गांधी बाबाओं की क्लास ली। 7वीं से 12वीं कक्षाओं के 72 विद्यार्थियों ने पोस्टर मेंकिंग प्रतियोगिता में भाग लिया तथा स्वच्छता तथा प्लास्टिक का प्रयोग ना करने की मनभावन कृतियां उकेरी। इस अवसर पर बाहरवीं की नेहा, रमनदीप कौर, दीक्षा तथा ग्याहरवीं की अलिशा व मुस्कान ने गांधी जी के नकल न करने, मांस न खाने, झूठ न बोलने, जात-पात न करने तथा गल्तियांे को स्वीकार करने वाले पांच प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए। सभी कक्षाओं ने अपनी-अपनी कक्षाओं की सफाई की तथा समूचे विद्यालय को भी साफ किया। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
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