मंडी डबवाली स्कूल हरयाणा मिलेनियम स्कूल में जॉय फुल पेरेंटिंग सेशन 20-20 आयोजित By Gurvinder Pannu Posted on February 20, 2020 16 second read 0 0 1,216 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print मिलेनियम स्कूल में जॉय फुल पेरेंटिंग सेशन 20-20 का आयोजन मंडी डबवाली मिलेनियम स्कूल के प्रांगण में जॉयफुल पेरेंटिंग सेशन 2020 का आयोजन किया गया। इस सेशन में मुख्य अतिथि के रुप में दूर-दूर से एक्सपर्ट आए डॉ प्रवीण गर्ग (एमबीबीएस एमडी )स्पेशलिस्ट पेरेंटिंग प्रोग्राम और अध्यात्मिक विकास के संचालक, सतीश कुमार (मोटिवेशनल स्पीकर)श्री राजेंद्र सिंह (काउंसलर),मिसेस वर्षा वास्तु (ऑब्जर्वर ऑफ द सेशन), विवेक( इलाहाबाद)अभिजीत( नागपुर ) मनीष ( नागपुर ) रेखा( कुशलपुरा) गगनदीप( सिरसा) एंड नीरज अग्रवाल( दिल्ली) उपस्थित थेlजिसने मिलेनियम स्कूल की जूनियर विंग के अभिभावकों को आमंत्रित किया गया था तथा पेरेंट्स को बताया गया कि आपका बच्चा सुरक्षित जगह सुरक्षित हाथों में है जहां मिलेनियम टीम का मेन मोटिव बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है इस खास मौके पर अतिथि के रूप में गुरु नानक कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल श्री आत्माराम अरोड़ा जी उपस्थित थे। मिलेनियम स्कूल सुंदरवातावरण में और छोटी आयु से ही बच्चों को ऐसे गुण प्रदान कर रहा है जो उन्हें नेक तथा अच्छे नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं मिलेनियम स्कूल की अध्यक्ष डॉ शर्मा जी ने अभिभावकों को बताया कि बच्चे अपने माता-पिता से ही बहुत कुछ सीखते हैं जैसे-जैसे बच्चे बड़ों को करते हुए देखते हैं वैसे ही सीखते चले जाते हैं माता-पिता को भी इन सब बातों को ध्यान में रखना चाहिए की घर का माहौल सुंदर व स्वस्थ हो क्यों कि बच्चा स्कूल में तो सिर्फ 30 परसेंट समय ही बताता है बाकी समय बच्चा अपने घर में ही बिताता है स्कूल में बच्चों के माइक फीयर स्टेज फीयर को दूर किया जाता है शासन में मुख्य रूप से डॉ प्रवीण गर्ग जी का कहना था कि हम अपने बच्चे का अलंकरण उसके आए हुए नंबरों से करते हैं जबकि बच्चा दसवीं तक हर एक सब्जेक्ट में अपना अलग-अलग योगदान देता है और उस योगदान के को लेकर हम उसके भविष्य को नहीं आ सकतेlबच्चों को समझने के लिए उसकी तुलना किसी और से ना करेंl बल्कि बच्चे की प्रतिभा को पहचानना चाहिए उसमें आत्मविश्वास की भावना को भरना चाहिए तुलना करने से बच्चे में ईशा की भाव उत्पन्न होते हैं। मिलेनियम स्कूल में बच्चों की गति विधियों पर स्पेशल ध्यान दिया जाता है क्योंकि एक बार हाथ से किया काम कभी नहीं भूल सकता। बच्चों के माता-पिता को समझाया गया कि बच्चे की पहली गुरु उसकी मां होती है और घर का वातावरण पहला विद्यालय जहां से बच्चा सीखना आरंभ करता है इसीलिए पेरेंट्स को बच्चों के साथ खेलना भी चाहिए उनके पूछे गए प्रश्न का उत्तर भी देना चाहिए ना कि उन्हें डांटना चाहिए इससे बच्चों की जिज्ञासा प्रवृत्ति शांत होती है अगर हमें बच्चों की पूछी गई बात का जवाब नहीं भी पता तो भी उन्हें कहना चाहिए कि कल बता देंगे बच्चे का नहीं होता बल्कि बच्चा वही करता है जैसे-जैसे उसके माता-पिता घर के सदस्य या अध्यापक सिखाते हैं अगर बच्चे को छोटी आयु से ही आध्यात्मिकता जागरूकता के साथ जोड़ा जाए तो उनमें नैतिकता के गुण भी अपने आप आते चले जाएंगे। इस मौके पर हिंदी अध्यापिका मिस सुनीता ने कहा कि मिलेनियम स्कूल अपनी एक अलग से पहचान बना रहा है काम ऐसा करो कि पहचान बन जाए कदम ऐसा रखो कि निशान बन जाए यह जिंदगी तो जी लेते हैं सभी पर जिंदगी ऐसे जियो कि सबके लिए मिसाल बन जाएlमिलेनियम स्कूल में बच्चों को अच्छे संस्कार और सुंदर व्यवहार की शिक्षा दी जाती है। किसी ने खूब कहा है बस मिनटों की संभाल करना सीख ले घंटे अपने आप संभल जाएंगे। डॉ दीप्ति शर्मा जी ने सभी अभिभावकों का धन्यवाद करते हुए और आए हुए मुख्य अतिथियों का भी धन्यवाद किया। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
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