हरयाणा सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग: हत्यारे मनु शर्मा की उम्रकैद माफ हो जाती है, बुजुर्ग चौटाला को पैरोल भी नहीं मिलती.! By Gurvinder Pannu Posted on June 6, 2020 10 second read 0 0 1,382 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print हेमराज बिरट, तेज़ हरियाणा नेटवर्क: जेसिका लाल के हत्यारे मनु शर्मा की रिहाई के बाद भले ही मीडिया ने चुप्पी साध ली हो, लेकिन सोशल मीडिया पर जमकर लिखा जा रहा है। जहां अमीर और राजनीतिक पकड़ वाला होने के एक पहलू पर चर्चा की जा रही है। वहीं जातिवादी पक्षपात का भी दूसरा पहलू सामने आ रहा है। आखिर ऐसा क्या है कि तमाम सरकारों और अदालतों को मनु शर्मा का आचरण इतना अच्छा लगने लगता है कि पहले उसे 2 साल तक के लिए खुली छूट रहती है, नाम मात्र की जेल होती है और अब उसे छोड़ दिया जाता है। अगर ऐसा सिर्फ अमीर होने की वजह से है तो ये बात हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पर भी लागू होती, उनके पास तो इससे कहीं ज्यादा राजनीतिक ताकत भी थी। इन्हीं दोनों मामलों की तुलना करते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल फेसबुक पर लिखते हैं- हत्यारे मनु शर्मा की उम्र क़ैद की सजा सरकार माफ़ कर देती है, लेकिन 85 साल के बुजुर्ग और विकलांग किसान नेता ओमप्रकाश चौटाला को जेल में ही रहना पड़ेगा। यहाँ तक कि अब परोल और फरलो पर भी बाहर नहीं आ सकते। जाति के अलावा इसकी क्या व्याख्या है। पैसा तो दोनों परिवारों के पास है। इस व्यवस्था के समूचे जातिवादी पक्षपात को उजागर करते हुए फेसबुक पर ही स्मिता अजात अमाया लिखती हैं- हत्या के बाद जेल में आचरण अच्छा है, इसलिए मनु शर्मा अब आज़ाद है। पिछले 2 साल से ओपन जेल में था, सिर्फ रात को जेल लौटता था। हत्या का दोषी होने के बाद भी शादी हो गयी, बच्चा भी है। ये कौन सा समाज है, जहां एक मासूम लड़की को मारने वाले को एक बेटी के पिता ने अपना दामाद बना लिया। ऐसे ही उम्रकैद की सज़ा पाने वाले तंदूर में पत्नी को भुनने वाला सुशील शर्मा भी अच्छे आचरण के आधार पर रिहा हो चुका है। अपराध में क्या रखा है सब उपनाम में रखा है। इस मुल्क में उपनाम में शर्मा, पांडेय, पंडित, सिंह है तो बच जाएंगे और जो सज़ा हो भी गयी तो अच्छे आचरण के आधार पर छूट जायंगे। यही नाम में खान, दुसाध, चमार, कोयरी, चौटाला, यादव होता तो समाज के लिए खतरा होते। ये उपनाम का ही रिश्ता है, जिससे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों एक सूत्र में बंधी है। मुझे 100 फीसदी यकीन है कि 2-4 दिन में जेसिका की बहन सबरीना का बयान आ जाएगा कि हमको मनु शर्मा की रिहाई से कोई आपत्ति नहीं है। सॉरी जेसिका! और हमें माफ़ करना सबरीना यहां न्याय पर पीड़ित नहीं उपनाम का पहला हक है। ये तमाम तुलनात्मक बहस सोशल मीडिया तक इसलिए भी सीमित हैं क्योंकि जिसे मुख्यधारा की मीडिया कहते हैं। दरअसल वो भी जातिवादी है वो भी पक्षपाती है। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
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